[मेरे द्वारा दिए गए तीन शब्द - "कल्याण, संस्कार, दान" पर मित्रो के भाव ]
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
कल्याण हो समस्त मानव जाति का, दान - धर्म का भाव बना रहे
संस्कार एवं संस्कृति का बोध रहे 'प्रतिबिम्ब', कर्म से प्रेम बना रहे
Shyam Sundar Matia
आज के नेताओं के ऐसे संस्कार हैं दान में भी अपना कल्याण की सोचते हैं /
भरत शर्मा
मानव कल्याण का मूल मंत्र . . ,
हो सब मे सद्भाव
दान - धर्म का नेक
यह संस्कार अपनाने
के हित ... कदम उठे अनेक ... !!
Pushpa Tripathi
हम भारत के वंशज
हम भारतवासी है
भारत भूमि देवभूमि
कण कण माती कहती है ......
संस्कार यहाँ रगों में दौड़ता
दान भी अभिलाषी है
कर्ण का दान , हरिश्चन्द्र महादानी
राजा बली द्वारा बटुक को तीन पग भूमि प्रदान
एकलव्य का अंगूठा दान
पतित पावन सीता राम
कृष्ण की भूमि ... कबीर की नगरी
कितने ही कल्याण ... कितने ही वरदान
ये भारत पावन भूमि है
शत शत बलिहारी प्राण मै जाऊं
ये भूमि हमारी जननी है
पुष्कर बिष्ट
दया, दान, कल्याण,सेवा, प्रेम, अहिंसा, सत्यनिष्ठता से पूर्वजों की भावना में श्रद्धा, विश्वाश की आस्था को बनाये रखना हीं हमारा संस्कार है !
अलका गुप्ता
होंगे सु-संस्कार होगा कल्याण तभी |
दया दान सत्य होगा निस्वार्थ जभी |
करुणा प्रेम अहिंसा का समावेश रहे ..
मानव में मानवता का हो प्रवास तभी ||
यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में
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