Saturday, July 27, 2013

कल्याण, संस्कार, दान

[मेरे द्वारा दिए गए तीन शब्द - "कल्याण, संस्कार, दान" पर मित्रो के भाव ]


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
कल्याण हो समस्त मानव जाति का, दान - धर्म का भाव बना रहे 
संस्कार एवं संस्कृति का बोध रहे 'प्रतिबिम्ब', कर्म से प्रेम बना रहे


Shyam Sundar Matia 
आज के नेताओं के ऐसे संस्कार हैं दान में भी अपना कल्याण की सोचते हैं /


भरत शर्मा 
मानव कल्याण का मूल मंत्र . . ,
हो सब मे सद्भाव
दान - धर्म का नेक
यह संस्कार अपनाने
के हित ... कदम उठे अनेक ... !!


Pushpa Tripathi 
हम भारत के वंशज 
हम भारतवासी है 
भारत भूमि देवभूमि 
कण कण माती कहती है ......
संस्कार यहाँ रगों में दौड़ता 
दान भी अभिलाषी है 
कर्ण का दान , हरिश्चन्द्र महादानी 
राजा बली द्वारा बटुक को तीन पग भूमि प्रदान 
एकलव्य का अंगूठा दान 
पतित पावन सीता राम 
कृष्ण की भूमि ... कबीर की नगरी 
कितने ही कल्याण ... कितने ही वरदान 
ये भारत पावन भूमि है 
शत शत बलिहारी प्राण मै जाऊं 
ये भूमि हमारी जननी है 


पुष्कर बिष्ट 
दया, दान, कल्याण,सेवा, प्रेम, अहिंसा, सत्यनिष्ठता से पूर्वजों की भावना में श्रद्धा, विश्वाश की आस्था को बनाये रखना हीं हमारा संस्कार है !


अलका गुप्ता
होंगे सु-संस्कार होगा कल्याण तभी |
दया दान सत्य होगा निस्वार्थ जभी |
करुणा प्रेम अहिंसा का समावेश रहे ..
मानव में मानवता का हो प्रवास तभी ||

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Thursday, July 18, 2013

साथ, जिन्दगी, दोस्त


[भारत शर्मा जी द्वारा दिए गए शब्द - साथ, जिन्दगी,  दोस्त पर मित्रो के भाव ]

भरत शर्मा
जी के लिए और मरने के लिए
मुस्किलों में साथ निभाने के लिए

हसने के लिए और हसाने के लिए
जिन्दगी में सुहाने पल लाने के लिए

कुछ खोने के लिए और कुछ पाने के लिए
बिछड़ने के बाद गले से लगाने के लिए

जानने के लिए और राज बताने के लिए
जिन्दगी में एक हमराज बनाने के लिए

एक यार एक दोस्त जरुरी होता है


Yogesh Raj .
गर तू मेरा दोस्त ना होता,
गर तेरा साथ नसीब न होता,
इतनी हसीन न होती जिंदगी,
उसका कोई मकसद न होता

नैनी ग्रोवर  
साथ चले कोई जिंदगी भर, यह मुमकिन नहीं ऐ दोस्त
बस जो दो घड़ियाँ मिलें प्यार की, प्यार से गुज़ार लो ...!! 

अलका गुप्ता 
दोस्ती करनी है गर... तो देना होगा साथ तुम्हें |
वरना है दुश्मनी ही अच्छी क्या कहें दोस्त तुम्हें |
दोस्ती हो या दुश्मनी बेशक निभाना है पूरी जिंदगी 
पाना है तुम्हे हर हाल में बसाना है दिल में भी तुम्हें ||

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ....... 
साथ चलना आसान नही, दोस्ती निभाना भी आसान नही
दोस्त और जिन्दगी 'प्रतिबिम्ब' वक्त के मोहताज होते नहीं


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आँसू, दर्द, मोहब्बत

[ कुसुम शर्मा जी द्वारा दिए तीन शब्द आंसू, दर्द, मोहब्बत और मित्रो के भाव ]


कुसुम शर्मा 
आँखों में आंसू होठो पे हंसी क्या चीज मोहब्बत होती है,
है दर्द मगर मीठा सा बस ऐ ही मोहब्बत होती है !!

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
दर्द में बहे ये आंसू, मोहब्बत में बहे ये आंसू । 
फर्क इतना जितना जाम में पानी, और समंदर में पानी 

अलका गुप्ता 
हमारी मोहब्बत में कुछ ऐसी बात हो |
दर्द एक को और दूजे को ..अहसास हो |
मिल-जुल बाटें ...हंसी-ख़ुशी गम सारे ....
एक दूजे से मिल आंसू भी एक सौगात हो ||

दिनकर बडथ्वाल 
उनकी मोहब्बत में दर्द ही दर्द तमाम मिला है हमें –
आंसू मिले हैं तोहफे में ग़मों का इनाम मिला है हमें

Virendra Sinha Ajnabi .
अब, जबकि तेरे आंसू, मेरे दर्द की तस्दीक करने लगे हैं,
लोग कह रहें हैं कि हम और तुम मोहब्बत करने लगे हैं

नैनी ग्रोवर 
दर्द मोहब्बत के, जब जब उठते है सीने में, 
बनके आँसू बहने लगते हैं, तेरी यादों के साए ..!! 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ....
आंसू जो निकले उन्हें समेट लेना, दर्द बयाँ महफ़िल में न करना 
मोहब्बत में जो मिला 'प्रतिबिम्ब' इसमें जीने का बहाना ढूंढ लेना


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Monday, February 4, 2013

संबंध - प्रेम - श्रेय

संबंध -  प्रेम  -  श्रेय

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

'गति' तो 'दिन' हुए और दिन अब 'डे' हो गए
मधुर संबंध छूटने लगे, रिश्ते अब 'गे' हो गए
प्रेम हमने सिखाया 'प्रतिबिम्ब' फिरंगी 'श्रेय' ले गए
चाय शरबत छूटी, स्कोच विह्स्की अब 'पेय' हो गए

किरण आर्य 
संबंध जो मन को थे बांधे, आज टूटे क्यों सम कच्चे धागे से
प्रेम का पाठ हर धर्म पढ़ाता, फिर क्यों जोड़ा नफरत से नाता
श्रेय ले गई आधुनिकता, क्यों संस्कृति का साथ अब ना भाता

Sandeep Lakhera Nainvaya 
मैं अपने प्रेम संबंध का सारा श्रेय अपनी माँ को देना चाहूँगा जिसने मुझे इन बहुमूल्य शब्दों का अर्थ समझाया .

Pushpa Tripathi 
रिश्तें सबंध से जब दिल टूटा तो 'आप' से 'रे ' हो गए
प्रेम की माला में पिरोया फूल ताजा थे अब 'मुरझाए गए
मजा तो जीने में है 'पुष्प ' जलने, मरने, झगड़ने में नहीं
हम सर्व समर्पित जीवन में आश्रय थे अब 'श्रेय ' हो गए

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
हाय रे आधुनिकता ।
तू इतनी गहरी जड़े जमा गयी ।
संबंध बस नाम के रहे ।
प्रेम तो भौतिकता के दलदल में समां गयी ।
सभी पर ज्वर दिखावे का चढ़ा ।
श्रेय पाने को महंगाई भी पंक्ति में खड़ा ।।

Shyam Sundar Matia 
जो हमारा प्रेम संबंध है उसका श्रेय मैं भगवान को देना चाहूँगा


अलका गुप्ता 
आँखों ने देखा सूरत को दिल दीवाना हो गया |
उमड़े जज्वात तो प्रेम का पैमाना छलक गया |
समन्वय में उनके...संबंध हसीन एक रच गया|
और श्रेय इन सबका...वह लाल गुलाब ले गया ||


किरण आर्य 
प्रेम हाँ संबंध ये अटूट धागे सा
तेरे मेरे अहसासों से निर्मित
श्रेय तेरा कुछ मेरा साझा सा
इक बंधन दिल से दिल को राह दे
रूह में बसे तेरे जज्बातों सा


नैनी ग्रोवर 
संबंध प्रेम के, रस्मों-रिवाजों के मोहताज़ नहीं हैं,
श्रेय जाता है बस किस्मत को, इसमें कोई राज़ नहीं है !!


कुसुम शर्मा 
जो संबंध प्रेम से बनता है उसमे स्वार्थ नहीं होता
इसमें तेरा या मेरा किसी एक का श्रेय नहीं होता
होता है तो सिर्फ अटूट विश्वाश
यह वह संबंध है जो किसी के तोड़ने से भी नहीं टूटता ।।




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Saturday, February 2, 2013

नेह, सौग़ात, वफ़ा



नेह, सौग़ात, वफ़ा ये तीन शब्द किरण आर्य जी के द्वारा 17 जनवरी 2013 को पोस्ट किये गए थे. उनके,  सदस्यों के भाव निम्लिखित है  )


किरण आर्य 
जो नेह पाया यहाँ तुमसे
बस प्रयास कुछ लौटाने का है
रूह में सज़ो लिया जो नेह तुम्हारा
उस सौग़ात को वफ़ा बनाना है 

Virendra Sinha Ajnabi .
तुम्हारे नेह का याचक मै,
अंतहीन इच्छाओं का नहीं,
सौगात यदि मिले मुझे तो, 
वफ़ा की ही मिले, अन्य नहीं


Shyam Sundar Matia 
नेह और वफ़ा .....दोनों हमें माँ से सौगात में मिले हैं ......आभार


नैनी ग्रोवर 
सौगात नेह की, जब जिंदगी में मिली तुमसे, 
तब से वफ़ा ने बड़े फक्र से, सर अपना उठाया है!!


प्रभा मित्तल 
नेह इतना जो तुमने दिया,
मेरी तो वह सौगात हो गई।
वफ़ा बन कर रगों में समाया,
जिन्दगी से मुलाकात हो गई।


Yogesh Raj .
वफ़ा है नेह की अमूल्य सौगात,
जीवन जीने के लिए यही पर्याप्त..


Pushpa Tripathi 
न सुख मिलता कंही, नेह बिन 
न ही प्रतिवादी से कोई सौगात 
ये तो है, सिर्फ वफा का प्रतिफल 
जिसमे मिलता निहितार्थ प्रदान

अलका गुप्ता 
भेजा था ख़त में नेह निमंत्रण |
वफा का करना तुम...संवरण |
भूल ना जाना हमें कभी तुम....
होगा तेरा यही सौगात अर्पण ||


कुसुम शर्मा 
इस जीवन की जननी है माँ 
नेह की वह मूर्त है माँ 
इस जीवन की सौग़ात है माँ 
तभी तो वफ़ा की मूर्त है माँ

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
नेह मिलना किसी का, जिंदगी में सौगात होती है 
निभा सके रिश्ता गर 'प्रतिबिम्ब' तो ये वफ़ा होती है 




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Wednesday, January 30, 2013

देश, तोड़, हस्ती

[ पुष्कर बिष्ट जी द्वारा दिए गए शब्दों [देश, तोड़, हस्ती]  के साथ मित्रो/सदस्यों के भाव ]


पुष्कर बिष्ट 
मेरे देश को तोड़ रही है चाले कुछ जयचंदों की, 
हस्ती कितनी बड़ी हो गयी देखो कुछ भिखमंगो की..


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
है यकीन भारतीयों के जज्बे पर, तोड़ देंगे वों हाथ अगर उठे भारत की ओर 
हस्ती उसकी मिटा देंगे 'प्रतिबिम्ब' जिसने भी नज़र उठाई मेरे देश की ओर


Yogesh Raj 
पाकिस्तान अपने ही देश की हस्ती मिटटी में मिलाने के लिए काम कर रहा है, भारत ने उसे बनाया तो भारत उसे चाहे तो तोड़ भी सकता है.

किरण आर्य 
हस्ती कहाँ ये दुश्मन की जो हौसलों को हमारे पस्त करे 
देश रक्षा की खातिर तनमन हंसके हम व्योछावर करे 
अटूट है अखंडता हमारी कोई ना इसे तोड़ सके 

कुसुम शर्मा 
जो तोड़ सके देश को दुश्मनों में ऐसी हस्ती नहीं 
क्यूंकि देश भक्तो की मेरे देश में कोई कमी नही
चाहे कितना जोर लगा ले तोड़ नहीं पायेगा 
हर दम की तरह इस बार भी मुह की खायेगा ....


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काल, कल, काला

[ काल, कल, काला  इन तीन शब्दों पर मित्रो के भाव ]


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
मित्रो मन को काला न करो, कल शायद अपना न हो
प्रेम से रहो कहे 'प्रतिबिम्ब', काल को कल पर छोड़ दो


किरण आर्य 
ए मन क्यों चिंता है करे कल यादो में है साथ चले
जो पल काल का ग्रास हुए बिसरा उनको तू आगे बढ़
काला सफ़ेद दो रंग बड़े सुख दुख जैसे ही संग रहे
वो तुझ पर है तू किसे चुने किस संग मधुर स्वप्न बुने

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
इससे पहले, काल कल के मस्तक पर काला टीका रंग दे ।
उठो सपुतों, छोड़ रंग लाल, माँ का आँचल, फिर हरा रंग दें।।

अलका गुप्ता 
जन्म आज कल काल भी है निश्चित |
बेशक काल का समय हो अनिश्चित |
समान हैं दिन सारे ही ईश की ओर से |
भरम दिन का शुभ या काला सुनिश्चित ||


कुसुम शर्मा 
जीवन में कल कभी नहीं आता
आता है तो सिर्फ आज
कल को तो काल भी नहीं पकड पाता
सुख हो या दुःख रहते हरदम साथ
काला हो या सफ़ेद लेकिन है तो आज

भगवान सिंह जयाड़ा 
कल काला है किसने देखा ,
जो गुजारी है उस से सीखो ,
काल करे न कभी इन्तजार ,
चाहे कर लो जतन हजार ,
काल के संग चलना सीखो ,
पीछे मुड कर कभी न देखो ,
आज संवारो कल सुख पावो,
प्यार से मिल बाँट के खावो,

Pushpa Tripathi 

जीवन वृतान्त अनंत सुखांत
समय का चक्र बनता प्रारब्ध l
कभी मिलता है, सुख सिमित
कभी होता है, दुःख अहित
सुखों दुखों के आज कल में
न जाने कितने पत्थर मोती l
काल महान है, विकराल रूप भी
राजा से रंक, पलभर की अमीरी
काला से सफेद, सफेद से काला
हर रंग यंहा संभव परिवर्तित l
रजत सा कर्म हो, स्वर्ण सा आंकलन
तू हर रंगों संग निखरता चल
तू है मानव, दानव न बन
बनो प्रतिक ऐसे साक्षरता का
मानवता को तुम करो निहाल

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Tuesday, January 22, 2013

तीन शब्द - पर्यायवाची


(इस पोस्ट में एसे तीन शब्द लिखिए जो एक दूसरे के अर्थ हो यानि प्रयायवाची हो. हाँ भावों का शामिल होना जरुरी है)


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(प्रतिबिम्ब, साया, तस्वीर)

बनती है दिल में तस्वीर, याद वों पल पल आने लगता है 
'प्रतिबिम्ब' आँखों में रहता है, साया सा साथ में रहता है


सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी 
(निशा, रजनी, रात )

रजनी ने अंचल फैलाया,
शशि पूरन क्षितिज हो दिख आया,
तारक पूरक करे सेज निशा,
प्रिय रात मधुर पल फिर आया !! 

Yogesh Raj 
(प्रकाश, उजाला, रौशनी.)

तुमसे है कायम मेरे जीवन में ये प्रकाश,
मेरी आँखों की रौशनी जैसी हो तुम प्रिय,
उजाला है घर में मिला जब से तेरा साथ.

किरण आर्य 
(प्रीत, प्रेम, नेह)

रूह में बसा इक भाव प्रीत से तेरी सरोबार 
नेह तेरा अह्सासो में प्रेम करे जिया बेक़रार 
नैन चपल हो विकल प्रतिपल करे तेरा इंतज़ार 
आस हो पूरी जब दरस प्यासी अंखियों पाए करार 

संगीता संजय डबराल 
(नित्य, नियमित, निरंतर)

ईश्वर सत्य और नित्य है, संसार में उसके दिए हुए कार्यों को यदि हम निस्वार्थ और नियमित रूप से पूर्ण करें तो उसकी कृपा हम पर निरंतर बनी रहेगी. 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(संध्या, शाम, साँझ )

सुबह से संध्या गुजरती अहसास में, हर शाम फिर उसका इंतजार 
साँझ रास नही आती 'प्रतिबिम्ब', अगर करना पड़े उसका इंतजार


किरण आर्य 
(बेसब्र, बेक़रार, बेताब)

राह तकते नयन बेसब्र से
पिया मिलन के सपने सजोये
अधीर होते मन के भाव भी
हर आहट से होते और बेक़रार
बेताब चाह पाए करार दिल की
जब पिया जो मन है बसे 
रूबरू उनका हो दीदार 


Yogesh Raj 
(अजनबी, अपरिचित, अनजाना)

अजनबी जब लगने लगे अपना सा,
अपरिचित हो जाये चिरपरिचित सा,
अनजाना हो जाए जाना पहचाना सा,
यहीं से शुरू है एक प्रेम- फ़साना सा.


बाद में जोड़े गए कुछ शब्द और भाव 


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(लोचन, नैन, नयन )

त्रिलोचन के लोचन , अध्रनिंद्रा जागे , अध्रनिंद्रा सोये ।
कुछ छुपा नहीं नयन से उनके, लाख मेंढक नैन आंसू रोये ।।रामेश्वरी


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(नौकर, चाकर, दास )

नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, अपनों की पीड़ा भुलाई ।।

ताउम्र नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, खाली खीसा मृत्यु शैय्या पायी ।।


अलका गुप्ता 

(मरघट ,मसान ,शमशान )

छोड़ कर आएँगे तुझे |
यहीं मुँह मोड़ कर सारे|
जब प्राण पखेरू उड़ जाएँगे |
रिश्ते नाते ,वैभव ये |
छूट जाएँगे सब सारे ||

मरघट कहो या मसान |
समाधि स्थल या शमशान |
कब्रगाह...या कहो कब्रिस्तान |
यहीं कहीं हम भी
दफ़न हो जाएँगे ||

ज़रा सोंचो !साथ में
हम क्या ले जाएँगे |
टोकरा कर्मों का .....बस |
और खाली हाथ जाएंगे ||

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