Monday, February 4, 2013

संबंध - प्रेम - श्रेय

संबंध -  प्रेम  -  श्रेय

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

'गति' तो 'दिन' हुए और दिन अब 'डे' हो गए
मधुर संबंध छूटने लगे, रिश्ते अब 'गे' हो गए
प्रेम हमने सिखाया 'प्रतिबिम्ब' फिरंगी 'श्रेय' ले गए
चाय शरबत छूटी, स्कोच विह्स्की अब 'पेय' हो गए

किरण आर्य 
संबंध जो मन को थे बांधे, आज टूटे क्यों सम कच्चे धागे से
प्रेम का पाठ हर धर्म पढ़ाता, फिर क्यों जोड़ा नफरत से नाता
श्रेय ले गई आधुनिकता, क्यों संस्कृति का साथ अब ना भाता

Sandeep Lakhera Nainvaya 
मैं अपने प्रेम संबंध का सारा श्रेय अपनी माँ को देना चाहूँगा जिसने मुझे इन बहुमूल्य शब्दों का अर्थ समझाया .

Pushpa Tripathi 
रिश्तें सबंध से जब दिल टूटा तो 'आप' से 'रे ' हो गए
प्रेम की माला में पिरोया फूल ताजा थे अब 'मुरझाए गए
मजा तो जीने में है 'पुष्प ' जलने, मरने, झगड़ने में नहीं
हम सर्व समर्पित जीवन में आश्रय थे अब 'श्रेय ' हो गए

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
हाय रे आधुनिकता ।
तू इतनी गहरी जड़े जमा गयी ।
संबंध बस नाम के रहे ।
प्रेम तो भौतिकता के दलदल में समां गयी ।
सभी पर ज्वर दिखावे का चढ़ा ।
श्रेय पाने को महंगाई भी पंक्ति में खड़ा ।।

Shyam Sundar Matia 
जो हमारा प्रेम संबंध है उसका श्रेय मैं भगवान को देना चाहूँगा


अलका गुप्ता 
आँखों ने देखा सूरत को दिल दीवाना हो गया |
उमड़े जज्वात तो प्रेम का पैमाना छलक गया |
समन्वय में उनके...संबंध हसीन एक रच गया|
और श्रेय इन सबका...वह लाल गुलाब ले गया ||


किरण आर्य 
प्रेम हाँ संबंध ये अटूट धागे सा
तेरे मेरे अहसासों से निर्मित
श्रेय तेरा कुछ मेरा साझा सा
इक बंधन दिल से दिल को राह दे
रूह में बसे तेरे जज्बातों सा


नैनी ग्रोवर 
संबंध प्रेम के, रस्मों-रिवाजों के मोहताज़ नहीं हैं,
श्रेय जाता है बस किस्मत को, इसमें कोई राज़ नहीं है !!


कुसुम शर्मा 
जो संबंध प्रेम से बनता है उसमे स्वार्थ नहीं होता
इसमें तेरा या मेरा किसी एक का श्रेय नहीं होता
होता है तो सिर्फ अटूट विश्वाश
यह वह संबंध है जो किसी के तोड़ने से भी नहीं टूटता ।।




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Saturday, February 2, 2013

नेह, सौग़ात, वफ़ा



नेह, सौग़ात, वफ़ा ये तीन शब्द किरण आर्य जी के द्वारा 17 जनवरी 2013 को पोस्ट किये गए थे. उनके,  सदस्यों के भाव निम्लिखित है  )


किरण आर्य 
जो नेह पाया यहाँ तुमसे
बस प्रयास कुछ लौटाने का है
रूह में सज़ो लिया जो नेह तुम्हारा
उस सौग़ात को वफ़ा बनाना है 

Virendra Sinha Ajnabi .
तुम्हारे नेह का याचक मै,
अंतहीन इच्छाओं का नहीं,
सौगात यदि मिले मुझे तो, 
वफ़ा की ही मिले, अन्य नहीं


Shyam Sundar Matia 
नेह और वफ़ा .....दोनों हमें माँ से सौगात में मिले हैं ......आभार


नैनी ग्रोवर 
सौगात नेह की, जब जिंदगी में मिली तुमसे, 
तब से वफ़ा ने बड़े फक्र से, सर अपना उठाया है!!


प्रभा मित्तल 
नेह इतना जो तुमने दिया,
मेरी तो वह सौगात हो गई।
वफ़ा बन कर रगों में समाया,
जिन्दगी से मुलाकात हो गई।


Yogesh Raj .
वफ़ा है नेह की अमूल्य सौगात,
जीवन जीने के लिए यही पर्याप्त..


Pushpa Tripathi 
न सुख मिलता कंही, नेह बिन 
न ही प्रतिवादी से कोई सौगात 
ये तो है, सिर्फ वफा का प्रतिफल 
जिसमे मिलता निहितार्थ प्रदान

अलका गुप्ता 
भेजा था ख़त में नेह निमंत्रण |
वफा का करना तुम...संवरण |
भूल ना जाना हमें कभी तुम....
होगा तेरा यही सौगात अर्पण ||


कुसुम शर्मा 
इस जीवन की जननी है माँ 
नेह की वह मूर्त है माँ 
इस जीवन की सौग़ात है माँ 
तभी तो वफ़ा की मूर्त है माँ

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
नेह मिलना किसी का, जिंदगी में सौगात होती है 
निभा सके रिश्ता गर 'प्रतिबिम्ब' तो ये वफ़ा होती है 




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