Saturday, February 2, 2013

नेह, सौग़ात, वफ़ा



नेह, सौग़ात, वफ़ा ये तीन शब्द किरण आर्य जी के द्वारा 17 जनवरी 2013 को पोस्ट किये गए थे. उनके,  सदस्यों के भाव निम्लिखित है  )


किरण आर्य 
जो नेह पाया यहाँ तुमसे
बस प्रयास कुछ लौटाने का है
रूह में सज़ो लिया जो नेह तुम्हारा
उस सौग़ात को वफ़ा बनाना है 

Virendra Sinha Ajnabi .
तुम्हारे नेह का याचक मै,
अंतहीन इच्छाओं का नहीं,
सौगात यदि मिले मुझे तो, 
वफ़ा की ही मिले, अन्य नहीं


Shyam Sundar Matia 
नेह और वफ़ा .....दोनों हमें माँ से सौगात में मिले हैं ......आभार


नैनी ग्रोवर 
सौगात नेह की, जब जिंदगी में मिली तुमसे, 
तब से वफ़ा ने बड़े फक्र से, सर अपना उठाया है!!


प्रभा मित्तल 
नेह इतना जो तुमने दिया,
मेरी तो वह सौगात हो गई।
वफ़ा बन कर रगों में समाया,
जिन्दगी से मुलाकात हो गई।


Yogesh Raj .
वफ़ा है नेह की अमूल्य सौगात,
जीवन जीने के लिए यही पर्याप्त..


Pushpa Tripathi 
न सुख मिलता कंही, नेह बिन 
न ही प्रतिवादी से कोई सौगात 
ये तो है, सिर्फ वफा का प्रतिफल 
जिसमे मिलता निहितार्थ प्रदान

अलका गुप्ता 
भेजा था ख़त में नेह निमंत्रण |
वफा का करना तुम...संवरण |
भूल ना जाना हमें कभी तुम....
होगा तेरा यही सौगात अर्पण ||


कुसुम शर्मा 
इस जीवन की जननी है माँ 
नेह की वह मूर्त है माँ 
इस जीवन की सौग़ात है माँ 
तभी तो वफ़ा की मूर्त है माँ

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
नेह मिलना किसी का, जिंदगी में सौगात होती है 
निभा सके रिश्ता गर 'प्रतिबिम्ब' तो ये वफ़ा होती है 




यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

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