Tuesday, July 21, 2015

शब्द - प्रयायवाची शब्द - विलोम शब्द

प्रतियोगिता 
१. 'तीन' शब्द स्वयं लिखिए और उनका प्रयोग करते हुए चार पंक्तियाँ लिखिए. 
२. वे 'तीन' शब्द कैसे हो ....दूसरा शब्द पहले शब्द का प्रयायवाची होना चाहिए और तीसरा शब्द विलोम होना चाहिए. 
उदहारण : पानी, जल, थल /नभ

Shyam Sundar Matia 
मनुष्य - इंसान  - दानव
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आज का मनुष्य
इन्सान न हो कर 
दानव बन कर रह गया है 
देवता से बहुत परे

Kiran Srivastava 
रात - रात्रि - सुबह
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तय है आना...!
रात्रि के बाद सुबह
सुबह के बाद रात्रि
ये रात और दिन
यूँ ही आते -जातें हैं
जैसे हो यायावर....!!!


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
निकट - समीप - दूर
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जितना 'निकट' भी पहुँच जाऊं
सपने उतने ही 'दूर' नज़र आते है
मंजिल 'समीप' मरीचिका सी ;प्रतिबिंब'
मेरी आस बस प्यासी रह जाती है


प्रभा मित्तल
सौम्यता - स्निग्धता - उग्रता
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'सौम्यता' जीत लेती है मन को
'उग्रता' जीवन भर दण्डित करती।
'स्निग्धता' रखो अपने स्वभाव में, 
जग में यह सबको हर्षित करती।


कुसुम शर्मा 
गगन - अम्बर - अवनी 
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मै गगन को छूना चाहती हूँ 
अवनी से अम्बर तक 
एक घर बनाना चाहती हूँ 
हो जिसमे बस प्यार का बसेरा 
ऐसा संसार बनाना चाहती हूँ !!


यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

Wednesday, July 8, 2015

ठठोली - ठाँव - ठीकरा



ठठोली 

ठाँव [ ठिकाना / स्थान ] 
ठीकरा [ मिट्टी का वर्तन / भिक्षा पात्र और निरथर्क /व्यर्थ समझना ]


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
'ठीकरा' समझने की भूल न करना कोई हंसी 'ठठोली' में भी 
बना लिया 'ठाँव' मैंने 'प्रतिबिम्ब', इस अजनबी शहर में भी


नैनी ग्रोवर 

'ठीकरा' सा है ये जीवन, 'ठाँव' कहाँ ढूँढे है, 
'ठठोली' करती है किस्मत, नितदिन हमसे..!! नैनी


DrShyam Sundar Matia 
KANHA, RADHA SE THTHOLI KA THIKRA , 
MAHARE THANV NA FODO //


कुसुम शर्मा 
ये तन है 'ठीकरा' 
मत कर क़िस्मत तु 'ठठोली' 
'ठाँव' है कहाँ ये मालूम नही !!


Kiran Srivastava 
मत कर 'ठठोली' ऐ जिंदगी
नहीं है तेरा कोई 'ठाँव'-ठिकाना....!!
जैसे आया है,वैसे जायेगा,
'ठीकरा' सा टूट कर बिखर जायेगा....!!!!


प्रभा मित्तल 
"ठीकरा"लिए हाथ में एक स्त्री
कब से गंगा किनारे बैठी है
बरस बीत गए कितने ही,
जाड़ा गर्मी बरसात या
हो बेमौसम की मार
सिर पर सब सहती है
न "ठाँव" है न छाँव है
बच्चे-बड़े छेड़कर हँसते हैं
पर किसी से कुछ नहीं कहती
बेज़ुबान सी चुप रहती है
जो भिक्षा में मिल जाए
खाकर भूख मिटा लेती है।

एक दिन मैंने पूछ ही लिया
माँ जी घर क्यों नहीं जाती हो ?
कातर सी मुश्किल से वो बोली-
बीमार हूँ संक्रमण के डर से
बेटे ने घर से निकाल दिया है
बदनामी के डर से बाहर 
कुछ भी कहने से मना किया है
कसूर उसका नहीं है, बेटी !
मेरे ही भाग्य की है ये "ठठोली"।

मैं निःशब्द निस्तब्ध सी खड़ी
उसके इस कथन पर हैरान थी
जो माँ बीमारी में बच्चे को
अपनी छाती पर सुलाती है
बुढ़ापे में बीमार वही माँ
अछूत कैसे बन जाती है....।

अलका गुप्ता 
फोड़ 'ठीकरा' इस 'ठाँव' 'ठठोली' का |
बैठीं मिल चारि सखी हम-जोली का |
रैन गई..बैन गई.. मरि चैन गई...
चारि घरा फोड़ि आईं बढ़ि-बोली का ||

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Thursday, July 2, 2015

रिपुवाह, रंजिश. रणांगण

रिपुवाह,  रंजिश.  रणांगण  -  शब्दों का प्रयोग करते हुए भाव

  • प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल .....
    रंजिश निभाने को वक्त बहुत है, रणांगण जब चाहे सजा लो 
    छोड़ कर पाप 'प्रतिबिंब', कर नाश पाप का रिपुवाह कहलाओ

  • Kiran Srivastava रणांगण हो मेरा अपना
    सुख-समृद्धि से सजा हुआ,
    ना हो कोई रोगी

    ना हो कोई दुःखी,
    ना हो कोई रंजिश
    ना हो कोई दविश,!
    एक दुसरे से हम
    इतना करें प्रेम
    ना हो कोई हमारा रिपु
    ना कोई रिपुवाह....!!!

  • अलका गुप्ता ~~~~~~~~~~~~~
    रणांगण भए रणित घोर रणसिंघा |
    झौंझियाएं रिपुवाह तड़ित मेघा |

    शोणित तेगा बाजि रहे ललुकार ..
    रंजित रंजिश लहु-लुहान तनु जंघा ||

  • कुसुम शर्मा जब प्रेम किया उनसे तो रंजिश कैसी 
    वो लाख करे सितम फिर भी रंणागण कैसा 
    प्रेम से मिटायेंगे रिपु 

    तो फिर रिपुवाह कैसा !!



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