प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मित्रो मन को काला न करो, कल शायद अपना न हो
प्रेम से रहो कहे 'प्रतिबिम्ब', काल को कल पर छोड़ दो
किरण आर्य
ए मन क्यों चिंता है करे कल यादो में है साथ चले
जो पल काल का ग्रास हुए बिसरा उनको तू आगे बढ़
काला सफ़ेद दो रंग बड़े सुख दुख जैसे ही संग रहे
वो तुझ पर है तू किसे चुने किस संग मधुर स्वप्न बुने
Bahukhandi Nautiyal Rameshwari
इससे पहले, काल कल के मस्तक पर काला टीका रंग दे ।
उठो सपुतों, छोड़ रंग लाल, माँ का आँचल, फिर हरा रंग दें।।
अलका गुप्ता
जन्म आज कल काल भी है निश्चित |
बेशक काल का समय हो अनिश्चित |
समान हैं दिन सारे ही ईश की ओर से |
भरम दिन का शुभ या काला सुनिश्चित ||
कुसुम शर्मा
जीवन में कल कभी नहीं आता
आता है तो सिर्फ आज
कल को तो काल भी नहीं पकड पाता
सुख हो या दुःख रहते हरदम साथ
काला हो या सफ़ेद लेकिन है तो आज
भगवान सिंह जयाड़ा
कल काला है किसने देखा ,
जो गुजारी है उस से सीखो ,
काल करे न कभी इन्तजार ,
चाहे कर लो जतन हजार ,
काल के संग चलना सीखो ,
पीछे मुड कर कभी न देखो ,
आज संवारो कल सुख पावो,
प्यार से मिल बाँट के खावो,
Pushpa Tripathi
जीवन वृतान्त अनंत सुखांत
समय का चक्र बनता प्रारब्ध l
कभी मिलता है, सुख सिमित
कभी होता है, दुःख अहित
सुखों दुखों के आज कल में
न जाने कितने पत्थर मोती l
काल महान है, विकराल रूप भी
राजा से रंक, पलभर की अमीरी
काला से सफेद, सफेद से काला
हर रंग यंहा संभव परिवर्तित l
रजत सा कर्म हो, स्वर्ण सा आंकलन
तू हर रंगों संग निखरता चल
तू है मानव, दानव न बन
बनो प्रतिक ऐसे साक्षरता का
मानवता को तुम करो निहाल
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यहाँ प्रस्तुत शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में
https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/
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