Wednesday, March 11, 2015

प्रकृति, जीवन, प्रेम


प्रकृति
जीवन
प्रेम


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ...
'प्रकृति' से 'प्रेम' और प्रेम में हो विश्वास
'प्रतिबिम्ब' के 'जीवन' में, आप हो ख़ास


नैनी ग्रोवर 
'प्रक्रति' बिन 'जीवन' नहीं, और जीवन बिन 'प्रेम',
ये ना हो तो यूँ लगता है, ज्यूँ तस्वीर बिन फ्रेम


दीपक अरोड़ा
'प्रकृति' से जीवन
'जीवन' 'प्रेम' बिन अधूरा
तीनों के संगम से
ये सांसारिक चक्र हो पूरा-


DrShyam Sundar Matia 
जो लोग 'प्रकृति' से 'प्रेम' करते हैं , उनका 'जीवन' सुखी रहता है /


कुसुम शर्मा 
खिल उठता है मन
देख छँटा 'प्रकृति' की
'प्रेम' भी जब छू लेता है
तन को नही मन को
लगता है इंद्रधनुषी रंग
फैल गए हो 'जीवन' में


प्रभा मित्तल
 'प्रकृति' ने हमें जन्म दिया,'जीवन' दिया
है यह ईश्वर का मानव के लिए वरदान
इसे प्रदूषित ना करें,वृक्ष लगाएं वन बचाएं
और सहेजें 'प्रेम' से ,सदा रखें यह ध्यान।

यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

Friday, March 6, 2015

फागुन, रंग, होली


( फागुन, रंग, होली शब्दों पर भाव )

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
फागुन’ के ‘रंग’ में रंगा, मेरे इर्द गिर्द सारा संसार
होली’ आई ‘प्रतिि्बिंब’, आओ भर ले प्यार बेशुमार


डॉली अग्रवाल 
'फागुन ' क्या आया ,खिल उठा मन मयूर
'होली' आई तो प्यार के रंग से खुद को सजा लिया ---


दिनकर बडथ्वाल 
आया फागुन लेकर होली के रंग 
है वक्त मौज मस्ती का दोस्तों के संग


प्रभा मित्तल 
रंग-रंग के 'रंग' लेकर
आई 'होली''फागुन'में
मन मगन हुआ
मन मस्त हुआ
रंग-रंगीले फागुन में
ऊँच-नीच का भेद मिटा लें
मन से मन का मेल करा लें
चल खेलें होली फागुन में।


कुसुम शर्मा 
फागुन में होली की देखो बहार
साजन भी खेले है सजनी के साथ
रंग छाए, छाये जैसे बरखा बहार
झूम झूम नाचे है एक दूसरे के साथ



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Tuesday, March 3, 2015

घाव, घायल, घातक



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
शब्दों का 'घाव' 'घातक' होता है जो मन को 'घायल' करता है
मधुर भाषा का प्रयोग 'प्रतिबिम्ब', रिश्तो को प्रबल करता है

पुष्कर बिष्ट 
जाने कब तक घाव भरेंगे इस घायल मानवता के?
जाने कब तक सच्चे होंगे सपने सब की समता के?
हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है..

नैनी ग्रोवर ---
बड़ा घातक है घाव धोखे का, इंसान को पागल करता है,
नज़र आये या ना, ये वार दिलों को घायल करता है..!! न

DrShyam Sundar Matia 
मोहब्बत के घाव ,
इश्क के घातक को इतना घायल
कर जाते हैं कि जीवन भर उन की
टीस महसूस होती रहती हैं //


किरण आर्य 
घायल मन की पीर
जब हो जाती तब्दील घाव में
तब रिसने लगती यादों की पीब
तब रुदन रूह का कर लेता
घातक रूप ग्रहण
हर तरफ मचता हाहाकार
और यहीं से होता है आरम्भ
आत्मा के पतन का..

डॉली अग्रवाल 

उफ़्फ़ ये घाव दिल के
घायल हैं ये जिस्मो जान
घातक बनने बेठे इस दुनिया के इंसान ! !


अलका गुप्ता 

घात ये इन्सानियत के कातिल की |
रिसते रहंगे घाव घातक घायल की |
दहलें दिल दहशते दारुण आघात से..
धर्म है पीना लहू लाल-लाल लालों के ||





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