Wednesday, January 30, 2013

देश, तोड़, हस्ती

[ पुष्कर बिष्ट जी द्वारा दिए गए शब्दों [देश, तोड़, हस्ती]  के साथ मित्रो/सदस्यों के भाव ]


पुष्कर बिष्ट 
मेरे देश को तोड़ रही है चाले कुछ जयचंदों की, 
हस्ती कितनी बड़ी हो गयी देखो कुछ भिखमंगो की..


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
है यकीन भारतीयों के जज्बे पर, तोड़ देंगे वों हाथ अगर उठे भारत की ओर 
हस्ती उसकी मिटा देंगे 'प्रतिबिम्ब' जिसने भी नज़र उठाई मेरे देश की ओर


Yogesh Raj 
पाकिस्तान अपने ही देश की हस्ती मिटटी में मिलाने के लिए काम कर रहा है, भारत ने उसे बनाया तो भारत उसे चाहे तो तोड़ भी सकता है.

किरण आर्य 
हस्ती कहाँ ये दुश्मन की जो हौसलों को हमारे पस्त करे 
देश रक्षा की खातिर तनमन हंसके हम व्योछावर करे 
अटूट है अखंडता हमारी कोई ना इसे तोड़ सके 

कुसुम शर्मा 
जो तोड़ सके देश को दुश्मनों में ऐसी हस्ती नहीं 
क्यूंकि देश भक्तो की मेरे देश में कोई कमी नही
चाहे कितना जोर लगा ले तोड़ नहीं पायेगा 
हर दम की तरह इस बार भी मुह की खायेगा ....


यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

काल, कल, काला

[ काल, कल, काला  इन तीन शब्दों पर मित्रो के भाव ]


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
मित्रो मन को काला न करो, कल शायद अपना न हो
प्रेम से रहो कहे 'प्रतिबिम्ब', काल को कल पर छोड़ दो


किरण आर्य 
ए मन क्यों चिंता है करे कल यादो में है साथ चले
जो पल काल का ग्रास हुए बिसरा उनको तू आगे बढ़
काला सफ़ेद दो रंग बड़े सुख दुख जैसे ही संग रहे
वो तुझ पर है तू किसे चुने किस संग मधुर स्वप्न बुने

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
इससे पहले, काल कल के मस्तक पर काला टीका रंग दे ।
उठो सपुतों, छोड़ रंग लाल, माँ का आँचल, फिर हरा रंग दें।।

अलका गुप्ता 
जन्म आज कल काल भी है निश्चित |
बेशक काल का समय हो अनिश्चित |
समान हैं दिन सारे ही ईश की ओर से |
भरम दिन का शुभ या काला सुनिश्चित ||


कुसुम शर्मा 
जीवन में कल कभी नहीं आता
आता है तो सिर्फ आज
कल को तो काल भी नहीं पकड पाता
सुख हो या दुःख रहते हरदम साथ
काला हो या सफ़ेद लेकिन है तो आज

भगवान सिंह जयाड़ा 
कल काला है किसने देखा ,
जो गुजारी है उस से सीखो ,
काल करे न कभी इन्तजार ,
चाहे कर लो जतन हजार ,
काल के संग चलना सीखो ,
पीछे मुड कर कभी न देखो ,
आज संवारो कल सुख पावो,
प्यार से मिल बाँट के खावो,

Pushpa Tripathi 

जीवन वृतान्त अनंत सुखांत
समय का चक्र बनता प्रारब्ध l
कभी मिलता है, सुख सिमित
कभी होता है, दुःख अहित
सुखों दुखों के आज कल में
न जाने कितने पत्थर मोती l
काल महान है, विकराल रूप भी
राजा से रंक, पलभर की अमीरी
काला से सफेद, सफेद से काला
हर रंग यंहा संभव परिवर्तित l
रजत सा कर्म हो, स्वर्ण सा आंकलन
तू हर रंगों संग निखरता चल
तू है मानव, दानव न बन
बनो प्रतिक ऐसे साक्षरता का
मानवता को तुम करो निहाल

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Tuesday, January 22, 2013

तीन शब्द - पर्यायवाची


(इस पोस्ट में एसे तीन शब्द लिखिए जो एक दूसरे के अर्थ हो यानि प्रयायवाची हो. हाँ भावों का शामिल होना जरुरी है)


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(प्रतिबिम्ब, साया, तस्वीर)

बनती है दिल में तस्वीर, याद वों पल पल आने लगता है 
'प्रतिबिम्ब' आँखों में रहता है, साया सा साथ में रहता है


सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी 
(निशा, रजनी, रात )

रजनी ने अंचल फैलाया,
शशि पूरन क्षितिज हो दिख आया,
तारक पूरक करे सेज निशा,
प्रिय रात मधुर पल फिर आया !! 

Yogesh Raj 
(प्रकाश, उजाला, रौशनी.)

तुमसे है कायम मेरे जीवन में ये प्रकाश,
मेरी आँखों की रौशनी जैसी हो तुम प्रिय,
उजाला है घर में मिला जब से तेरा साथ.

किरण आर्य 
(प्रीत, प्रेम, नेह)

रूह में बसा इक भाव प्रीत से तेरी सरोबार 
नेह तेरा अह्सासो में प्रेम करे जिया बेक़रार 
नैन चपल हो विकल प्रतिपल करे तेरा इंतज़ार 
आस हो पूरी जब दरस प्यासी अंखियों पाए करार 

संगीता संजय डबराल 
(नित्य, नियमित, निरंतर)

ईश्वर सत्य और नित्य है, संसार में उसके दिए हुए कार्यों को यदि हम निस्वार्थ और नियमित रूप से पूर्ण करें तो उसकी कृपा हम पर निरंतर बनी रहेगी. 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(संध्या, शाम, साँझ )

सुबह से संध्या गुजरती अहसास में, हर शाम फिर उसका इंतजार 
साँझ रास नही आती 'प्रतिबिम्ब', अगर करना पड़े उसका इंतजार


किरण आर्य 
(बेसब्र, बेक़रार, बेताब)

राह तकते नयन बेसब्र से
पिया मिलन के सपने सजोये
अधीर होते मन के भाव भी
हर आहट से होते और बेक़रार
बेताब चाह पाए करार दिल की
जब पिया जो मन है बसे 
रूबरू उनका हो दीदार 


Yogesh Raj 
(अजनबी, अपरिचित, अनजाना)

अजनबी जब लगने लगे अपना सा,
अपरिचित हो जाये चिरपरिचित सा,
अनजाना हो जाए जाना पहचाना सा,
यहीं से शुरू है एक प्रेम- फ़साना सा.


बाद में जोड़े गए कुछ शब्द और भाव 


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(लोचन, नैन, नयन )

त्रिलोचन के लोचन , अध्रनिंद्रा जागे , अध्रनिंद्रा सोये ।
कुछ छुपा नहीं नयन से उनके, लाख मेंढक नैन आंसू रोये ।।रामेश्वरी


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(नौकर, चाकर, दास )

नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, अपनों की पीड़ा भुलाई ।।

ताउम्र नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, खाली खीसा मृत्यु शैय्या पायी ।।


अलका गुप्ता 

(मरघट ,मसान ,शमशान )

छोड़ कर आएँगे तुझे |
यहीं मुँह मोड़ कर सारे|
जब प्राण पखेरू उड़ जाएँगे |
रिश्ते नाते ,वैभव ये |
छूट जाएँगे सब सारे ||

मरघट कहो या मसान |
समाधि स्थल या शमशान |
कब्रगाह...या कहो कब्रिस्तान |
यहीं कहीं हम भी
दफ़न हो जाएँगे ||

ज़रा सोंचो !साथ में
हम क्या ले जाएँगे |
टोकरा कर्मों का .....बस |
और खाली हाथ जाएंगे ||

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