Tuesday, January 22, 2013

तीन शब्द - पर्यायवाची


(इस पोस्ट में एसे तीन शब्द लिखिए जो एक दूसरे के अर्थ हो यानि प्रयायवाची हो. हाँ भावों का शामिल होना जरुरी है)


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(प्रतिबिम्ब, साया, तस्वीर)

बनती है दिल में तस्वीर, याद वों पल पल आने लगता है 
'प्रतिबिम्ब' आँखों में रहता है, साया सा साथ में रहता है


सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी 
(निशा, रजनी, रात )

रजनी ने अंचल फैलाया,
शशि पूरन क्षितिज हो दिख आया,
तारक पूरक करे सेज निशा,
प्रिय रात मधुर पल फिर आया !! 

Yogesh Raj 
(प्रकाश, उजाला, रौशनी.)

तुमसे है कायम मेरे जीवन में ये प्रकाश,
मेरी आँखों की रौशनी जैसी हो तुम प्रिय,
उजाला है घर में मिला जब से तेरा साथ.

किरण आर्य 
(प्रीत, प्रेम, नेह)

रूह में बसा इक भाव प्रीत से तेरी सरोबार 
नेह तेरा अह्सासो में प्रेम करे जिया बेक़रार 
नैन चपल हो विकल प्रतिपल करे तेरा इंतज़ार 
आस हो पूरी जब दरस प्यासी अंखियों पाए करार 

संगीता संजय डबराल 
(नित्य, नियमित, निरंतर)

ईश्वर सत्य और नित्य है, संसार में उसके दिए हुए कार्यों को यदि हम निस्वार्थ और नियमित रूप से पूर्ण करें तो उसकी कृपा हम पर निरंतर बनी रहेगी. 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(संध्या, शाम, साँझ )

सुबह से संध्या गुजरती अहसास में, हर शाम फिर उसका इंतजार 
साँझ रास नही आती 'प्रतिबिम्ब', अगर करना पड़े उसका इंतजार


किरण आर्य 
(बेसब्र, बेक़रार, बेताब)

राह तकते नयन बेसब्र से
पिया मिलन के सपने सजोये
अधीर होते मन के भाव भी
हर आहट से होते और बेक़रार
बेताब चाह पाए करार दिल की
जब पिया जो मन है बसे 
रूबरू उनका हो दीदार 


Yogesh Raj 
(अजनबी, अपरिचित, अनजाना)

अजनबी जब लगने लगे अपना सा,
अपरिचित हो जाये चिरपरिचित सा,
अनजाना हो जाए जाना पहचाना सा,
यहीं से शुरू है एक प्रेम- फ़साना सा.


बाद में जोड़े गए कुछ शब्द और भाव 


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(लोचन, नैन, नयन )

त्रिलोचन के लोचन , अध्रनिंद्रा जागे , अध्रनिंद्रा सोये ।
कुछ छुपा नहीं नयन से उनके, लाख मेंढक नैन आंसू रोये ।।रामेश्वरी


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
(नौकर, चाकर, दास )

नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, अपनों की पीड़ा भुलाई ।।

ताउम्र नौकर चाकर पालि के, वो बैठा सीना फुलाई ।
तिजोरी का वो दास रहा, खाली खीसा मृत्यु शैय्या पायी ।।


अलका गुप्ता 

(मरघट ,मसान ,शमशान )

छोड़ कर आएँगे तुझे |
यहीं मुँह मोड़ कर सारे|
जब प्राण पखेरू उड़ जाएँगे |
रिश्ते नाते ,वैभव ये |
छूट जाएँगे सब सारे ||

मरघट कहो या मसान |
समाधि स्थल या शमशान |
कब्रगाह...या कहो कब्रिस्तान |
यहीं कहीं हम भी
दफ़न हो जाएँगे ||

ज़रा सोंचो !साथ में
हम क्या ले जाएँगे |
टोकरा कर्मों का .....बस |
और खाली हाथ जाएंगे ||

**************

यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में
https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

2 comments:

  1. प्रति जी नमस्कार वाह इक और शानदार और सराहनीय प्रयास तीन पत्ती का ब्लॉग भी हो गया बनकर तैयार आभार और शुभकामनाये इक और खूबसूरत शुरुवात हेतु ..........शुभं

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  2. सभी साथियों के भाव और शब्द बहुत ही सुन्दर हैं मेरी ओर से सभी को हार्दिक बधाई .........एक प्रयास मैं भी करना चाह रही हूँ ....
    मरघट ,मसान ,शमशान

    छोड़ कर आएँगे तुझे |
    यहीं मुँह मोड़ कर सारे|
    जब प्राण पखेरू उड़ जाएँगे |
    रिश्ते नाते ,वैभव ये |
    छूट जाएँगे सब सारे ||

    मरघट कहो या मसान |
    समाधि स्थल या शमशान |








    कब्रगाह...या कहो कब्रिस्तान |
    यहीं कहीं हम भी
    दफ़न हो जाएँगे ||

    ज़रा सोंचो !साथ में
    हम क्या ले जाएँगे |
    टोकरा कर्मों का .....बस |
    और खाली हाथ जाएंगे ||

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