Friday, June 19, 2015

रेखाकिंत - संघर्ष - शंकित





  • प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ......
    'रेखाकिंत' है अगर नियति, 'संघर्ष' की राह मुमकिन है
    'शंकित' न हो 'प्रतिबिम्ब', कर्म की राह होती फलित है




  •  रेखांकित है हाथो की रेखा 
  • जाने इन मे कितना संघर्ष छुपा 
  • शंकित नही की वह पार न कर पाये 
  • ये तो है हमारे कर्मों से बँधा !

  • अलका गुप्ता ~~~~~~~~~~~
    न ठहरें कभी उस मंजिल ठिए आदम |
    रेखांकित ..राह में ...बढते रहें कदम | 

    होना क्यूँ आत्मबल पर शंकित कभी ..
    छोड़ ना देवें.. हरगिज संघर्ष का दम ||


यहाँ प्रस्तुत सभी शब्द और भाव पूर्व में प्रकाशित है समूह " 3 पत्ती - तीन शब्दों का अनूठा खेल" में https://www.facebook.com/groups/tiinpatti/

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